मोतियाबिंद के लक्षण :
आंख के पीछे वाला दर्पण धुंधला हो जाता है। आंख का तारा सलेटी या सफेद रंग का दिखाई पड़ता है। आंखों से साफ दिखाई देना कम होने लगता है। यदि समय पर उचित उपचार न हो तो दिखाई देना बंद हो जाता है।
मोतियाबिंद के उपचार :
- प्याज के रस में काला सुरमा खरल करके सुखा लें। इसको सलाई से आँखों में लगायें। मोतियाबिंद में बहुत फायदा करता हैं।
- नीम की माँगी का चूर्ण रात को आँखों में लगाकर सो जायें। नित्य ऐसा करने से कुछ ही दिनों में मोतियाबिंद खत्म हो जायेगा।
- तंबाकू 10 ग्राम को अरंडी के 40 ग्राम तेल में खरल करें। 3-4 बार तक खरल करने के बाद प्रतिदिन सुबह-शाम सलाई द्वारा आंखों में लगायें।
- 10 ग्राम शुद्ध शहद, 10 ग्राम सफेद प्याज का अर्क तथा भीमसेनी कपूर 2 ग्राम - तीनों को एक साथ अच्छी तरह मिलाकर कांच की शीशी में रख लें सोने से पहले आंखों में अंजन की तरह लगाने से मोतियाबिंद खत्म हो जाता है। अगर भीमसेनी कपूर उपलब्ध न हो तो केवल शहद और प्याज का अर्क भी अच्छा फायदा करता है।
- बड़े नींबू में छिंद करके उसमें हल्दी की दो गाउँ डालकर रख दें। एक हफ्ते बाद गार्ड निकाल दें। इन गांठों को चंदन की तरह घिसकर लगाने से मोतियाबिंद के शुरुआती दिनों में अच्छा फायदा पहुंचता है। मात्र 10-15 दिनों में ही फायदा आपके सामने आने लगेगा।
- नौसादर को बारीक पीसकर उसे कपड़े से महीन छान कर आंखों में नित्य लगायें। मोतियाबिंद खत्म हो जायेगा।
- लाहौरी नमक चमकदार 15 ग्राम तथा कूजा मिश्री तीस ग्राम-दोनों को खरल में डालकर सुरमा बनायें। इसका इस्तेमाल प्रारंभिक अवस्था में करने पर मोतियाबिंद में अच्छा फायदा होता है।
मोतियाबिंद के दवा-रहित उपचार :
- आंखों को धूल-गर्दे से बचाये रखना चाहिए।
- स्वच्छ एवं ताजे जल से आंखों को धोते रहना चाहिए।
मोतियाबिंद को होने से रोकने के लिए कुछ सावधानी एवं बचाव :
- यदि दवाओं से मोतियाबिंद ठीक न हो रहा हो तो यथाशीघ्र चिकित्सक से परामर्श लेकर ऑप्रेशन करा लेना ही उचित रहता है।
- डाक्टर की सलाह से चश्मा धारण करना भी फायदेमंद है।
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