रतौंधी के लक्षण :
रतौंधी का रोगी रात में देख पाने में असमर्थ होता है। दिन के समय सूर्य के प्रकाश में तो उसकी आंखों में रोशनी रहती है किन्तु सूर्यास्त के बाद जैसे-जैसे अन्धेरा बढ़ता जाता है उसकी नेत्र ज्योति कम होती जाती है।
रतौंधी का उपचार :
- चार-पांच मुनक्कों का सेवन काली मिर्च के साथ प्रतिदिन करने से रतौंधी रोग में लाभ पहुंचता है।
- त्रिफला चूर्ण एक से दो चम्मच प्रतिदिन रात में सोते समय सेवन करने से रतौंधी रोग में लाभ पहुंचता है।
- प्याज के रस में नींबू निचोड़कर सुबह-शाम पीने से रतौंधी रोग में लाभ पहुंचता है। सिरके और शहद का सेवन पानी के साथ नित्य करें।
- त्रिफला चूर्ण को पानी में भिगोकर छान लीजिए। इस पानी से आंखों को धोने से रतौंधी रोग में आराम मिलता है।
- संतरे के रस में काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर आंखों में अंजन की तरह लगाने से रतौंधी रोग दूर होता है।
- दूब (कोमल हरी घास) को पीसकर उसका पानी आंखों में नियमित रूप से लगाने से रतौंधी दूर हो जाती है।
- शहद को आंखों में नित्य अंजन की तरह लगायें। ध्यान रखें, शहद शुद्ध होना चाहिए।
- गाय के गोबर का रस दिन में तीन बार आंखों में नियमित डालने से रतौंधी रोग कुछ दिनों में दूर हो जाता है।
- स्वच्छ जल में प्याज का रस मिलाकर आंखें सुबह-शाम धोयें।
- पलाश के वृक्ष का रस आंखों में अंजन की तरह लगाने से रतौंधी रोग दूर हो जाता है।
- बथुए के पत्तों का रस दो-दो बुंद सुबह-शाम आंखों में डालें। रतौंधी दूर हो जायेगी।
- गुलाब जल में ताजे खीरे का रस मिलाकर आंखों में प्रतिदिन दो-दो बूंद डालने से रतौंधी रोग में लाभ पहुंचता है।
- फिटकरी का फूला, सेंधा नमक एवं रसौत तीनों को समान मात्रा में लेकर गुलाब जल में पीसकर छान लीजिए। फिर इसे प्रतिदिन सुबह-शाम आंखों में डालिए।
रतौंधी का दवा-रहित उपचार :
- प्रतिदिन सुबह, दोपहर, शाम आंखों को स्वच्छ जल से धोयें।
- तेज धूप से आंखों को बचायें ।
रतौंधी होने से रोकने के लिए कुछ सावधानी एवं बचाव :
- धूल, धुआँ आदि से आंखों को बचायें।
- पौष्टिक पदार्थों विशेषतः हरी सब्जियों का सेवन अधिकतम मात्रा में करें।
- आंखों पर जोर देकर छोटी अक्षरों वाली पुस्तकों को न पढ़ें।
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