नेत्रज्योति-मन्दता के लक्षण :
विटामिन आदि की कमी तथा अन्य कई कारणों से आंखों की रोशनी कमजोर होने लगती है। कम दिखाई देना, धुंधला दिखाई देना आदि नेत्र ज्योति कम होने के लक्षण हैं।
नेत्रज्योति-मन्दता का उपचार :
- सेंधा नमक पीसकर आंखों में सुरमे की तरह लगाने से नेत्र की ज्योति बढ़ जाती है।
- सूखे आंवले और तिल-दोनों को एक साथ मिलाकर रात में पानी में भिंगोकर रख दें। प्रातः इन्हें पीसकर आँखों में लगायें। नेत्र के हर रोग में फायदा करता है। आँखों की ज्योति बढ़ जाती है।
- टमाटर के ताजा पत्ते 15 मिनट तक हल्के गर्म पानी में भिंगो दें। फिर पानी को छानकर रख लें। प्रतिदिन भोजन करने से पहले एक चम्मच नित्य सेवन करें।
- प्रातःकाल खाली पेट पालक और गाजर का रस मिलाकर पीने से नेत्र ज्योति बढ़ जाती है। काले सुरमे के साथ गुलाब का अर्क आंखों में नित्य डालें। नेत्र ज्योति बढ़ जाती है।
- हर्रे की गुठली की मींगी बारह भाग, छोटी पीपल और काली मिर्च पांच-पांच भाग-सबको आंवले के रस में घोटकर गोली बना लें। एक गोली पानी में घिसकर प्रतिदिन आंखों में लगायें ।
- सौंफ को पीसकर समभाग चीनी मिलाकर सोते समय गाय के दूध के साथ आंखों में लगायें|
- लाहौरी नमक 12 ग्राम, मिश्री 25 ग्राम दोनों को पीसकर बारीक एवं साफ कपड़े से छानकर रख लें। इसे नित्य आंखों में लगायें ।
- हल्दी की एक गांठ को पानी से धोकर शीशे के पात्र में रखें और नींबू का इतना रस उसमें डालें कि हल्दी की गांठ डूब जाये। इस तरह लगभग 40 दिन तक पड़ा रहने दें। 40 दिन बाद हल्दी को गुलाब जल में घिसकर नित्य रात में शयन के समय आंखों में लगायें ।
नेत्रज्योति-मन्दता का दवा-रहित उपचार :
- सूर्योदय से पूर्व कोमल हरी घास यानी दूब पर नंगे पैर टहलना चाहिए।
- नियमित रूप से स्वच्छ जल से आंखों को धोयें।
नेत्रज्योति-मन्दता के सावधानी एवं बचाव :
- नित्य पैरों के तलवों पर कड़वे तेल की मालिश करें। प्रतिदिन परवल का सेवन करें।
- दिन भर में कम से कम दो बार गाजर का रस पियें।
- अधिक से अधिक आंवले का प्रयोग करें।
- प्रतिदिन सहजन का चाहे जैसे भी हो दैनिक भोजन में प्रयोग करें।
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