आंख आने के लक्षण :
यह छूत का रोग है। इसमें एक या दोनों आंखों में जलन और लालिमा हो जाती है। आंखें दर्द करने लगती हैं। आंखों में कीचड़ जमा हो जाता है। कीचड़ के कारण सोकर उठने पर पलकें आपस में सट जाती हैं। इस रोग में आंखों को खोलकर देखने में कठिनाई होती है। आंख खोलते ही आंख चौंधिया जाती है और उनमें से पानी निकलने लगता है।
आंख आने के उपचार :
- आधे चम्मच काली मिर्च का चूर्ण एक चम्मच शुद्ध देशी घी में मिलाकर नियमित रूप से सुबह-शाम खाने से यह रोग ठीक हो जाता है।
- अनार का रस आंखों में डालने से यह रोग ठीक हो जाता है।
- तुलसी का रस आंखों में लगायें।
- आंखों की सूजन के लिए हरड़ को पीसकर शहद में मिलाकर सूजन वाली आंख पर लेप करें।
- गुलाब जल में फिटकरी मिलाकर आंखों को दिन में तीन-चार बार धोयें।
- फिटकरी को पीसकर मलाई में मिला लीजिए। इस मिश्रण को कपड़े में बांधकर आंखों पर पट्टी रूप में रखिये ।
- गुलाब जल, ताजे खीरे का रस और दूध-तीनों को मिला लें। फिर इसमें रूई के फाहे भिगोकर फरहे को आयी हुई आंखों की पलकों पर रखें।
- बेल की पत्तियों का रस निकाल कर इसे छान लें। प्रतिदिन तीन बार इस रस की एक या दो बूंद आंख में डालें।
आंख आने के दवा-रहित उपचार:
- ताजे और स्वच्छ जल से दिन में कई बार आंखों को धोयें।
- हल्के गरम पानी में कपड़ा भिगोकर आंखों की कीचड़ साफ करें। इससे आंखों की सिंकाई भी करें।
आंखआने से रोकने के लिए कुछ सावधानी एवं बचाव :
- आंख आने पर आंखों को तेज धूप और तेज हवा से बचाइये ।
- आंखों को पोंछने के लिए स्वच्छ कपड़े (यथासंभव सफेद और माड़ीरहित) का इस्तेमाल करें।
- आंख आने पर आंखों को मलें नहीं ।
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